वृक्ष बनू
वृक्ष बनूँ !
प्रेम करूँ खामोश रहूँ ।।
चुपचाप हवा सा बहता रहूँ
सीने धधकती ज्वाला को
किसे अपनी व्यथा कहूँ
प्रेम करूँ खामोश रहूँ ।।
तूफानों में ज़रा झूम लूँ
फूल पत्रों से हल्का होकर
टूटी शाखाएँ थामे रहूँ
प्रेम करूँ खामोश रहूँ ।।
सूर्य को नित धमका लेता हूँ
अग्नि ज्वाला पी लेता हूँ
जल जल कर छाया देता रहूँ
प्रेम करूँ खामोश रहूँ
वृक्ष बनूँ खामोश रहूँ ।।।
अभी होश में हूँ
अभी होश में हूँ
थोडी पीने दो,
ज़हर पी कर भी
मैं न मरा
मरने से पहले
थोड़ा जीने दो ..
अभी होश में हूँ
थोडी पीने दो ...
एक वादा
बेवफा बन गया
उजालों से
बुझा है दिया
उघडे हैं जख्म
जरा सीने दो..
अभी होश में हूँ
थोडी पीने दो ...
यादें तेरी
जीने नहीं देंगी
सुकून रूह में
रहे गा नहीं
जागा हूँ कभी से
मुझे सोने दो..
अभी होश में हूँ
थोडी पीने दो ...
🌻सुशील कुमार भोला
जम्मू