मानव जब मानवता को भूला,
प्रकृति के संग किया खिलवाड़,
कोरोना के दानव ने मुँह खोला,
अब खतरे में पड़ा सारा संसार,
चेहरे को सबसे पड़े छिपाना,
घर के अंदर ही बचने की आड़,
खुली हवा में मुश्किल जाना,
मास्क ही सबसे बड़ा बचाव,
हाथ किसी से नहीं मिलना,
फैला है इसका विष हर ओर,
धो धो कर हाथ मिटी रेखाएं,
सूझे नहीं उपाय कुछ और,
उचित दूरियाँ और परहेज रखें,
बचने का केवल एक ही ठौर,
छींक और खांसी हो आना,
मुख पर अपने रखो रुमाल,
तुलसी का गर्म काढ़ा पीना,
अदरक काली मिर्च उबाल,
कोरोना को मिल के हराना,
अपने जीवन का लक्ष्य बनाएं,
कितनी मौतें देख चूके हम,
लापरवाही से उजड़े परिवार,
फिर कभी न ऐसा मंजर आए,
हम अपनी जीवनशक्ति बढ़ाएं,
रुकती साँसों के सौदागर सुन,
तेरा तोड़ जल्द बनके आए
अब हम सब सदैव सतर्क रहेंगे,
कभी फिर दौर ऐसा न आए,
प्रकृति संग अब न हो खिलवाड़,
स्वच्छता बनेगी जीवन का हिस्सा,
होगा अब नवभारत का निर्माण।।
नीलम द्विवेदी
रायपुर, छत्तीसगढ़