ग़ज़ल

निवेदिता रॉय 

कुछ यूँ लगता है....

अल्फ़ाज़ों को एक अफ़साना मिल गया है 

कह दूँ या लिख कर बयान कर दूँ,

वो समझेगा या नहीं, कुछ यूँ लगता है ।

तेज़ बारिशों का मौसम है, 

हवाओं में भी नमी सी है

वो भीगेगा या नहीं, कुछ यूँ लगता है 


तेरी तस्वीर से कुछ बातें की मैं ने 

चंद यादें तरोताज़ा की मैं ने 

तू कुछ बोलेगा या नहीं, कुछ यूँ लगता है 

अल्फ़ाज़ों को एक अफ़साना मिल गया है 

कुछ यूँ लगता है..........


निवेदिता रॉय 

(बहरीन)

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