सफलता का गीत

 


प्रो.(डॉ)शरदनारायण खरे

अवसादों को तजकर हमको,संघर्षों से मढ़ना होगा 

डगर भरी हो काँटों से पर,आगे को नित बढ़ना होगा 


        साहस को निज मित्र बनाकर,

        परे हटा दें,सारा ग़म

        यशगायन अधरों पर लाएँ,

        मार भगाएँ सारा तम


अँधियारे से लड़कर हमको,उजियारे को गढ़ना होगा ।

डगर भरी हो काँटों से पर,आगे को नित बढ़ना होगा ।।


         क्योंकर,ख़ुद ही हार मानकर,

         आँसू निज नयनों में लाएँ

          लिए पताका आज विजय की,

            सबको मंगलगान सुनाएँ।

उजियारे को घर में लाने,तूफ़ानों से भिड़ना होगा।

डगर भरी हो काँटों से पर,आगे को नित बढ़ना होगा 


          पीड़ा,दुख है,व्यथा-वेदना,

           दर्द नित्य मुस्काता

        जो सच्चा है,जो अच्छा है,

        वह पीड़ा को पाता

   किंचित भी ना शेष कलुषता,शुचिता में अब जड़ना होगा ।

डगर भरी हो काँटों से पर,आगे को नित बढ़ना होगा ।।


           झूठ,कपट,चालों का मौसम,

          अंतर्मन अकुलाता

          हुआ आज बेदर्द ज़माना,

           अश्रु नयन में आता


जीवन बने सुवासित सबका,पुष्पों जैसा खिलना होगा ।

डगर भरी हो काँटों से पर,आगे को नित बढ़ना होगा ।।


              कुछ तुम सुधरो,कुछ हम सुधरें,

               नव आगत मुस्काए

               सब विकार,दुर्गुण मिट जाएं,

             अपनापन छा जाए


औरों की पीड़ा हरने को,ख़ुद दीपक बन जलना होगा ।

डगर भरी हो काँटों से पर,आगे को नित बढ़ना होगा ।।


                     --प्रो.(डॉ)शरदनारायण खरे

                                  प्राचार्य

                शासकीय जेएमसी महिला महाविद्यालय

                          मंडला(म.प्र.)-481661

                  (मो.9425484382)

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