तीतर गिद्ध बटेर सब, हैं पंक्षी की जाति।
बगुला हंस सफेद पर, चोंच बढ़ाए ख्याति।।-1
हीन भावना दीन की, कर देती पैमाल।
गौरैया फुदके भवन, काग उड़ाए थाल।।-2
मोर पंख ले नाचता, मैना मधुरी बोल।
तोता नकल उतारता, कोयल मृदु रस घोल।।-3
पपीहा पी पी रटन कर, रहता है बेचैन।
कठफोडवा को भा गई, कृष्णपक्ष की रैन।।-4
दादुर अब दिखता नहीं, गई महोखा झार।
बँसवारी सूनी पड़ी, पनडुब्बी बीमार।।-5
बुलबुल सुर्ख गुलाब को, दिखा रहीं निज रंग।
बत्तख माटी में सुखी, लेकर अपना ढंग।।-6
साइबेरियन साल में, आती है इक बार।
भारत का नमकीन चख, मना गई त्यौहार।।-7
बाझ चील के मुँह लगा, सड़ा गला हर मांस।
मार झपट्टा ले उड़े, कठपुतली की सांस।।-8
हर कुनबे में शीलता, हर चौखट पर त्याग।
जैसी जिसकी चासनी, वैसा उसका पाग।।-9
सबको अपनी देंह से, एक सरीखा प्यार।
अगर मगर से डगर तक, दुश्मन मित्र हजार।।-10
तिलक तराजू टोपियाँ, विविध नश्ल के वेश
वाग देत मुर्गा सुबह, अपने अपने देश।।-11
गौतम तनिक निहार ले, सबका हुआ शिकार
प्राणी प्राणी लड़ रहा, प्राण छपा अखबार।।-12
महातम मिश्र गौतम गोरखपुरी