लाल ना निवाला बने


सुभाषिनी जोशी 'सुलभ '

अब और कोई लाल ना निवाला बने। 

भगवन आकर हम सबका दुशाला बने। 



टूटे ना कोई सिताराा  दुआ करें। 

मिल जाए सभी को सहारा दुआ करें। 

सभी की कश्तियाँ फँसी हैं भँवर में, 

ना बिछड़े कोई भी अपना दुआ करें। 


सबका मन मन्दिर बनकर शिवाला बने। 

अब और कोई लाल ना निवाला बने। 


मिल जाएगा सबको को किनारा यहाँ ।

अब कोई भी ना हो बेसहारा यहाँ। 

यह कुदरत का कहर है या है शरारत, 

जो कुछ भी है , बहुत ही करारा यहाँ। 


समय कितना भी कठिन व कराला बने। 

अब और कोई लाल ना निवाला बने। 


ना थके कभी नहीं हार मानेंगे हम। 

हर मानव को अपना मानेंगे नें हम। 

सबको मदद का हाथ हम बढ़ाते रहें, 

यह हौसलों की ड़गर है मानेंगे हम। 


जीवन हमारा नित नया निराला बने। 

अब और कोई लाल ना निवाला बने। 


सुभाषिनी जोशी 'सुलभ'

इन्दौर मध्यप्रदेश

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