तस्वीरें तेरी मुझसे बातें करती हैं
झुकी पलक से जाने क्या जादू करती हैं,
घड़ियाँ अपनी सीमा पार निकल जाती हैं,
सोती है जब शाम,निशा के आलिंगन में,
तब तस्वीरें तेरी मुझसे बातें करती हैं।
भूली बिसरी बातें याद दिला जाती हैं,
मेरी ही बातों पर मुझे हँसा जाती हैं,
सपनों की इक रंग बिरंगी दुनिया में,
ये तस्वीरें तेरी मुझसे बातें करती हैं।।
मुझे देख जब धीमें- धीमें मुस्काती हैं,
कलियाँ चारो ओर बिखरती जाती हैं,
आँखें मन का सुंदर दर्पण बन जाती है,
मन का हर भाव व्यक्त मुझसे करती हैं।
तुम अक्सर ही रुठ कहीं छिप जाते हो,
आँखों से ओझल जब भी तुम हो जाते हो,
डूबे मेरी जब शाम, दुःखों के आलिंगन में,
तब भी तस्वीरें तेरी मुझसे बातें करती हैं।।
जीवन साथी
वादा किया था साथ दोगे हमेशा,
हाथ थामा हमने भी विश्वास था,
जीवन में मेरे आने दोगे न गम,
दूर होंगे कभी ये न आभास था।
सात जन्मों को मांगा था हमने तुम्हें,
कितने वादे है अधूरे प्रेम की राह में,
किस्मत ने क्यों तेरा दामन छुड़ाया,
रह गए हम अकेले फर्ज की राह में।
ओ जीवन साथी मेरे साथ माँगूँ तेरा,
अब भी पास रहना साथ देना मेरा,
जब बिखरने लगूँ आँधियों में कभी,
अपने आगोश में थाम देना सहारा।
तन से तन दूर है मन तेरे पास है,
आज भी तुझे मुझपर विश्वास है,
पूरे करने हैं हमारे हर अधूरे स्वप्न,
सीने में मेरे जब तलक साँस है।।
आम की टोकरी....
प्यारी सी गुड़िया जब आई,
पके आम की टोकरी लायी,
हैं बहुत रसीले मीठे आम,
मिल जायेगा उचित ही दाम,
मन मे सुन्दर स्वप्न सजाकर,
नई फ्रॉक लाएगी जाकर,
पैसों की उम्मीद लगाकर,
उसने फिर आवाज लगाई,
ले लो मीठे आम ओ माई,
भरी धूप में दिन भर घूमी,
आधे आम अभी भी बाकी,
मुस्कान देख चेहरे पर आई,
नन्हे बच्चों की ये टोली,
आम माँगने उससे आयी,
दीदी पैसे तो पास नहीं है,
लेकिन नजरें थीं ललचाई,
दीदी सुन कर खुश हो आई,
बाँट दिए आधे आम ही भाई,
निश्छल बचपन कितना पवन,
दुनियादारी की समझ न आई,
शायद कुछ इनसे सीख सकें,
पैसों की खातिर लड़ते भाई।
नीलम द्विवेदी
रायपुर, छत्तीसगढ़