सभी माँ को समर्पित मेरी चन्द पंक्तियाँ ......
मणि बेन द्विवेदी
जेठ की दुपहरी में मां शीतल छांव सी,
माँ तपते मरुस्थल में फूलों की गाँव सी!
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माँ शीतल शाम है,माँ स्वर्णिम भोर है!
माँ ऐसी फूल है जो होती न कठोर है!
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माँ निश्छल हंसी सी प्रीत की लोरी है!,
माँ सबकी चंदा सी चाँद औ चकोरी है!
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माँ गंगा यमुना की शुचि पावन धार है!
बच्चों की दुनिया का सुखमय संसार है!
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होली दिवाली माँ तीज मां त्यौहार है!
देती जो बच्चों को सुन्दर संस्कार है !
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माँ के बिना सृष्टि की रचना अधूरी है !
माँ अपने परिवार की सुदृढ़ सी धूरी है!
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माँ जीवन दाई है अमृत की धार है!
माँ से ही बच्चों का प्यारा संसार है!
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माँ ही परिवार की जीने का आधार है!
माँ के बिना जीवन की कल्पना बेकार है!
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रात भर करती माँ बच्चों का ख्याल है!
कवच बनके करती रक्षा बन के मृगछाल है!
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माँ के ही चरणों में चारो धाम पायी हूँ.
दूध का क़र्ज़ माँ बनके चुका पायी हूँ ,
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''माँ तुमको शत शत नमन ''
देश के सभी माँ को समर्पित
# मणि बेन द्विवेदी
वाराणसी उत्तर प्रदेश