किस बात पर नाराज हो
मुझसे मेरी शिकायत तो कर,
वहम तेरी आदत है अगर
पहले इसका इलाज कर ।।
दिन के उजाले मेरे साथ
क्यों जहर से तुझे लगते थे,
वह शाम क्या नशे की थी
रात के अन्धेरे गैरों संग रहते थे।।
गाडियों का सफर कुछ ऐसा रहा
नया शख्स रोज साथ बैठ गया,
जिंदगी तो कुछ और होती
हमसफर रोज़ बदल बदल गया।।
एक दिन अहसास होगा जरूर
क्या वह घडी कयामत की होगी,
इन्तजार तुमने तब तक का कहा था
क्या साँस तब चल रही होगी ...
-सुशील कुमार भोला
जम्मू