बुद्ध पूर्णिमा पर-
डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
होगा अविजित जीवन तेरा,तू जीत स्वयं से युद्ध।
मानव रख सोच सकारात्मक,कह गये महात्मा बुद्ध।।
दीप स्वयं का बनो, प्रकाशित कर दो जग सारा
सत्य का मार्ग नहीं छोड़ो,यह कभी नहीं हारा
खोजे अपनी दुनिया, यह प्राणी का अधिकार
नहीं किसी से करो घृणा, जीवों से करिए प्यार।
निंदा,क्रोध, त्याग दे तो,हो जाता प्राणी शुद्ध।
मानव रख.............
हिंसा दुराचार मत करना,मत करना नशाखोरी
व्याभिचार, मिथ्या भाषण,और मत करना चोरी
भूतकाल में उलझो मत, सपनों में न खो जाना
वर्तमान में जियो सदा, खुशियों को तुम पाना।
क्रोध जलाता खुद को ही,रह मत प्राणी क्रुद्ध।
मानव रख.......
प्रेम स्वयं से करता जो, दुःख किसी को न देता
जगत में अपनी राह स्वयं और भाग्य बना लेता स्वास्थ्य बड़ा उपहार और संतोष बड़ा है धन
शांति और सद्भाव बिना,रहता है अधूरापन
पा लोगे इनको,मत जीना,कभी प्रकृति विरूद्ध।
मानव रख...........
* डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर उत्तर प्रदेश