रुक जाओ न सनम



तनिक रुक जाओ न सनम!

दो पल और  मत जाओ सनम !

इस  कदर ना तड़पाओ सनम!

जब से आए हो जाने की लगी है।

जान ले लो मगर ना जाओ सनम ।


अभी तो चांद मुस्कुराता   है।

अभी तो रात कहां ढली।

तुम अभी अभी तो आए हो।

फिर अभी अभी कहां चले ।

अभी तो पास में आओ जरा ।

सांस में सांस टकराओ  जरा ।

अपनी अमावसी  जुल्फें  बिखेर दो।

चांदनी सी जगमगाओ  जरा।

तुम चले जाओगे तो मर जाएंगे हम ।

प्यार बस प्यार छलकाओ सनम!


अब दिलों के तार छेड़ दो।

आज यौवन का राग टेर दो।

आंखों में आंखें डालकर ,

प्यार सरिता सनम उड़ेल दो।

आज रात को ढल जाने दो।

सारे अरमान मचल जाने दो।

आज रह जाए न कोई दूरी ।

आज मन में आस जगा दो सनम!

हर कदम पर तुम्हें कलेजा दूँ निकाल कर।

आज की रात रुक जाओ सनम!

झूठा है तुम्हारा वादा ए मोहब्बत ।

सच्चा है प्यार तो रुक जाओ सनम!


स्वर्गीय प्रेम शंकर पाण्डेय

गोरखपुर 

प्रस्तुतकर्ता स्नेहलता पाण्डेय


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