कोई अपना शरीर से दूर हो सकता है
पर आत्मा से नहीं।
आत्मा से आत्मा का मिलन ही प्रेम होता है।
और प्रेम कभी मरता नहीं प्रेम तो अमिट है।
प्रेम का कोई रंग नहीं होता कोई रूप नहीं होता।
प्रेम तो एक सच्ची अनुभूति है जो किसी ख़ास के लिए हमेशा रहती है।
प्रेम निशब्द है जिसकी कोई भाषा नहीं होती।
प्रेम एक भाव है जिसकी कोई परिभाषा नहीं होती।
@अतुल पाठक " धैर्य "
जनपद हाथरस(उत्तर प्रदेश)