इस पंछी को रुलाकर ना जाओ
दिल के पिंजरे में कैद कर ,
इस पंछी को रुलाकर ना जाओ ||
बिरहा की रातें बन जाएं साथी मेरी,
इस तरह तुम मुझे सुलाकर ना जाओ ||
थामा है तुमने दामन ये मेरा,
मुझसे अब हाथ छुड़ाकर ना जाओ ||
अग्नि के सात फेरों में बंधे हैं हम,
इन सात वचनों को तुम भुलाकर ना जाओ ||
झूठे हैं लोग और झूठी बस्ती है यहां
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चाहत हुस्न की है और प्रेम जबरदस्ती है यहां,
मोहब्बत की आड़ में नफरत भरी मस्ती है यहां ||
झूठे हैं लोग और झूठी बस्ती है यहां ||
पेश आते हैं ऐसे जैसे इनका दिल बहुत साफ है,
बनावटी चेहरे हैं और बनावटी लोगों की हस्ती है यहां ||
झूठे हैं लोग और झूठी बस्ती है यहां ||
जाल इतने प्यार से फेंकते हैं मछुआरे जिसमें,
मासूम और भोली मछली फसती है यहां ||
झूठे हैं लोग और झूठी बस्ती है यहां ||
नोच खाते हैं लोग उसे इस कदर,
लोगों में सिर्फ हवस ही बसती है यहां ||
झूठे हैं लोग और झूठी बस्ती है यहां ||
तड़पता छोड़ देते हैं रास्ते पर उसे,
अब तो तन्हाई भी उसे डसती है यहां||
झूठे हैं लोग और झूठी बस्ती है यहां ||
मार देते हैं लोग सच को पैसे के लिए,
झूठ महंगा है और सच्चाई सस्ती है यहां ||
झूठे हैं लोग और झूठी बस्ती है यहां ||
कयामत ने छीन लिया उससे रूप रंग उसका,
अब उसे देख ये दुनिया हंसती है यहां ||
झूठे हैं लोग और झूठी बस्ती है यहां ||
यह मंजर देख दिल दहल गया #सागर का,
मंजिल दूर है और टूटी कश्ती है यहाँ ||
झूठे हैं लोग और झूठी बस्ती है यहां ||
- वीरेंद्र सागर
- शिवपुरी मध्य प्रदेश