*23 मई*
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*डॉ.विनय एवं श्रीमती विनय श्रीवास्तव*
डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव
सन 81 में आज के दिन ही हम प्रिये,
साथ पाये तुम्हारा अभी तक हैं जिये।
वही दिन 23 मई आज पुनः आया है,
फिर कलियाँ खिली फूल मुस्काया है।
मेरा जीवन तुम्हारे बिना रहता अधूरा,
मिल के साथ तेरे किये हर ख्वाब पूरा।
माँ-बाप का आशीष है जीवन सुखी है,
ना कोई कष्ट है व ना ही कोई दुःखी है।
ये प्रभू की कृपा है जो हमारे पर है बनी,
मैं नाना-बाबा बना तू नानी-दादी बनी।
सांसे हमारी यूँ ही आगे भी चलती रहे,
उम्र बढ़ती रहे और जवानी ढ़लती रहे।
सामने रहें सभी बच्चे ये सुखी सब रहें,
परिवार फले फूले और ख़ुशी सब रहें।
और क्या चाहिए यही काफी है ना प्रिये,
साथ जीना है मरना है ये अरमान लिये।
कभी टुन पुन भी हुआ कभी गुस्सा हुये,
जिंदगी के सफर का ये सब किस्सा हुये।
बाल झड़ने लगे दाँत ये हिलने गिरने लगे,
आँखों की रोशनी उम्र सौंदर्य ढ़लने लगे।
प्यार ये अपना जो है वह न कम हो कभी,
मैं जो रूठूँ तो मुझे मना लेना प्रिये अभी।
मैं भी तुम्हें मना लूँगा तुम जो रूठो कभी,
यही प्यार है सुखमय जीवन चलेगा तभी।
वैवाहिक जीवन के 40 वर्ष बिताये हमने,
मातारानी ने सब पूरे किये जो देखे सपने।
जीवन जो शेष बचाहै साथी साथ निभाना।
एक दूजे की लाठी बन कर समय बिताना।
मेरी ये कविता इस लाकडाउन में है उपहार,
ये भावनाओं का शब्द है इसमें प्यार अपार।
हे ! प्रभू हमपे अपनी कृपा ऐसे बनाये रखना,
जोड़ी जो ये बनाया उसको सलामत रखना।
डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
इंटरनेशनल चीफ एग्जीक्यूटिव कोऑर्डिनेटर
2021-22,एलायन्स क्लब्स इंटरनेशनल,प.बंगाल
संपर्क : 9415350596