अस्मिता
विचित्र समय है ये सबके लिए ...
बैठे है घरो मे सब डरे डरे...
करते है प्रभु से आराधना सबको रखे स्वस्थ ...
अपने प्रताप से हे प्रभु करो
इस वाइरस को ध्वस्त ...
और इस बीच आ गया ये प्यारा सा
त्योहार ...
खरीदते हैं स्वर्ण इस अवसर पर हर बार...
हे प्रभु किसी का कुछ भी ना हो क्षय...
इस अक्षय त्रितिया पर्व पर रखो सबको अक्षय...
उबारो हम सबको इस विपत्ति से...
करे हम आपकी पूजा पूरी भक्ति से...
है आज का दिन अत्यंत शुभ...
हुआ था अवतरण मां गंगा का धरती पर आज के दिन...
और भगवान परशुराम थे जन्मे आज के दिन...
हुआ प्रारंभ त्रेतायुग भी इस शुभ अवसर पर...
मिलन हुआ था सुदामा का कृष्ण से आज के ही अवसर पर...
अंत हुआ था महाभारत के युद्ध का आज ही के दिन...
प्रार्थना है प्रभु से, आज...
जीवन सबका हो अब फिर संकट बिन...
अस्मिता
हैदराबाद