ब्रह्मा जी के इस रचना में
मानव जीवन उत्तम है ।
ब्राह्मण कुल में जन्म लिया
यह सबसे सर्वोत्तम है
पुरखों ने रचना किए
बड़े-बड़े और महाग्रंथ ।
दुनिया को सिखाया
जीवन जीने का नया पंथ ।।
सत्ता की ना कभी लालसा की
ना बना किसीका चाटुकार।
स्वच्छ और स्वतंत्र रहकर
किया मानवता का उद्धार ।।
अत्रि वशिष्ठ आदि ऋषियो ने
ज्ञान प्रकाश फैलाया समाज।
राजनीति का पाठ पढ़ा कर
दिया कई ससक्त सम्राट ।।
राजा बनने की ना कोई इच्छा
बतला दिया समाज को ।
प्रजापति सा नाम कहलाया
प्रजा के पालनहार को ।।
फिर इस कोरे समाज ने
नाम दिया कुटिल का ।
वास्तव में वह कौटिल्य थे
जिसने बनाया महाराज को ।।
समय-समय पर आताताई
आते रहते हैं धरा पर बार-बार ।
ब्राह्मणों के कृत्योँ का मर्दन
करते रहे हैं बार-बार ।।
जब पानी सर से ऊपर
बहने लगता है ।
परशुराम सा एक वीर
धरा पर अवतरित होता हैं ।।
इस कलयुग में आताताई
की कोई कमी नहीं ।
कंस महिषासुर आदि दानव से
धरती है भरी पड़ी ।।
पहचानो हे देवपुत्र
पहचानो हे दिव्य पुत्र ।
तुम में है शक्ति अपार
आज भी कर सकते हो तुम
पैदल ही आग की दरिया को पार ll
सत्ता में बैठे यह नेता
तुम्हारा नहीं कभी करेंगे भला ।
क्योंकि इनके साथ विरोध में
बैठे हैं तुम्हारा ही कोई अपना सगा ।।
उन्हें ज्ञान यह देते हैं
कहते हैं यह है स्वर्ण ।
पूछो इनसे क्या सवर्णों
के नहीं होते तन ।।
जीवन जीने की सारी सहूलियत
हमको तुम दिलबाओ ।
क्या सवर्णों में सभी अमीर हैं
यह तो तुम बतला दो ।।
रोटी की खातिर हम
घर से दूर भटकते हैं ।
फिर भी हम स्वर्ण हैं
सारी सुविधा से वंचित रहते हैं ।।
गौर से सुनो हे सत्ताधारी
हमारा ना तुम करो दमन ।
नहीं तो फिर एक चाणक्य आएंगे
मिटा देंगे घनानंद का राज,
एक साधारण से बालक
चंद्रगुप्त को दिलवाएंगे ताज ।।3
श्री कमलेश झा
नगर पारा भागलपुर
बिहार