गो माता



गीता पांडे 'अपराजिता '

पीयूष दान कर गौमाता,सबकी जीवन शक्ति बढ़ती।

उसी पीयूष रस से हर दम ,वह हम सबको स्वस्थ बनाती ।

गो सेवा से पुण्य फल अर्जित,हिंदू धर्म में पूजी जाती।

कोटि देवता तन में करते वासा, है विपदा सभी मिटाती।

धर्म ग्रंथ ,उपनिषद बताते , तू ही काम धेनु कहलाती।

यह धवल वर्ण,काली भूरी घर घर में हैं सदा रंभाती ।

दुग्घ ,मूत्र ,गोबर हित कारी,सारे रोग है दूर भागती।

सीधी साधी हैं गौ माता , जग को सेवा पाठ पढ़ाती ।

देश का हर बच्चा पहचाने , यही हमारी गौ माता हैं।

सदा कृष्ण कन्हैया को भी , तो इनका साथ सुहाता है।

जिस द्वारे गाय नहीं,यमदूत का रहे डेरा है।

गाय सेवा से दूर होता , जीवन घनघोर अंधेरा है ।

गो पालक के घर में खुद ही, वंशी नट वर श्याम बजाए।

आयो गीता सब मिलकर , गो रक्षक की मुहिम को जगाए।

अच्छे कर्म करने से सदा , भाग्योदय भी हो जाता है।

कर्मों का सब लेखा जोखा ,हर दम ही रखे विधाता है।

गीता पांडे अपराजिता

 रायबरेली उत्तर प्रदेश

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