सुनसान डगर

दीपिका चौहान

अब तुम्हें ही उठना होगा,

अंधेरे से ग्रसित मार्ग पर सहमियता का उजाला लेकर इस लंबे सफर तय करना होगा।


टूटे सपनों के पर को जोड़कर,

ऊंचे आगाज़ लिए ऊंचे आसमां में एक लंबी उड़ान भरना होगा।

अब तुम्हें ही उठना होगा ,

स्वयं अब जागकर तुमको जहां को जगाना होगा।

उठकर अब तुम्हें किस्मत बदलना होगा,

अंधविश्वास की डोरी को तोड़कर अंध एवं विस्वास को अलग करना होगा।

दुनिया की सोंच बदलकर एक नया इतिहास तुम्हें रचना होगा।

अब तुम्हें ही उठना होगा।

स्वयं अब जागकर तुमको जहां को जगाना होगा।

हां! हां कठिनाइयों के कांटे हैं इस दुनिया में,

बावजूद इसके, करके दूर इन कांटों को एक सुंदर मार्ग निर्मित करना होगा।

अब तुम्हें ही उठना होगा।

स्वयं अब जागकर तुमको जहां को जगाना होगा।

कहने वालों की कतार अनेक है, किन्तु करना सिर्फ तुम्हें होगा।

मत बैठो निराश होकर यह दरिया तुम्हारा है और तुम इसके हो,

वो इंतजार कर रही तुम्हारा, जाकर पार उसे तुम्हें ही करना होगा।

मत भागो तुम तुम्हारी मुश्किलों से क्योंकि सामना तुम्हें ही करना होगा।

आंसू बिल्कुल ना बहा, मानकर यह बात है जिन्दगी ही ऐसी 

सामना इसका तुम्हें ही करना होगा।

मिटा मत खुद को खुद की परछाई से,

खुद से जीने की सीख तुम्हें लेना ही होगा।

तेरा फैसला है तुझे ही उठाना होगा ,

पूर्ण निष्ठा , लगन और समर्पण के साथ इसे इंतकाम तक तुम्हें ही पहुंचाना होगा।

अब तुम्हें ही उठना होगा।

स्वयं अब जागकर तुमको जहां को जगाना होगा।।।


-दीपिका चौहान

जशपुर छत्तीसगढ़।।

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