जय गुरुदेव

 एक कुण्डली



रोशनी किरण 

_गुरुवर तेरा दास हूं , मैं मूरख नादान ।

           वाणी तेरी सिर धरूं , और न कोई ज्ञान ।।

           और न कोई ज्ञान , दिखे ना कोई अपना ।

           जग झूठा सब शान , सृष्टि है सुंदर सपना ।।

         कहे " किरण " कर जोर , तुम्हीं हो मेरे तरुवर ।

            जीवन मेरा धूप , दास हूं तेरा गुरुवर ।।

      

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