जब जब पाप बढ़ा धरती पर

 



जब जब पाप बढ़ा धरती पर, 

फैला     है    यह  अत्याचार। 

तभी तब राम  लिए  अवतार,

तभी तब राम लिए  अवतार।

कलयुग की  काया  पलटी है, 

सही  गलत  में  भेद  नहीं  है, 

जबरन बीज अधर्म का बोया,

चहुदिश  मचा  है   हाहाकार, 

राम मेरे आ जाओ  इस बार। 

राम मेरे आ  जाओ  इस बार,

अहंकार की  मद  में  खोकर, 

मानव भटक  रहा है  दर दर। 

भव बंधन  की बीच  भंवर में, 

अब तुम  नाव  लगइयो  पार,

राम मेरे आ  जाओ  इस बार, 

राम मेरे आ  जाओ  इस बार।

मानवता की ज्योति जलाकर, 

हृदय कलुषता स्वयं मिटाकर। 

मोक्ष मुक्ति का द्वार खोलकर, 

अब   तो  करो   मेरा   उद्धार।

राम मेरे आ  जाओ  इस बार,

राम मेरे आ  जाओ  इस बार। 


पुष्पलता लक्ष्मी

वरिष्ठ गीतकार

कवयित्री व शिक्षिका,स्वतंत्र लेखिका 

व स्तम्भकार,रायबरेली उत्तर प्रदेश

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