कवियित्री नंदिनी लहेजा की रचनाएं
 

खुशबू

देखते है जब पुष्प उपवन ,मन उनसा खिल जाता है
रंग और खुशबू से उनकी मन भी महक सा जाता है
काँटों की न फ़िक्र इन्हें न मुरझाने का ही भय है
जानते है जब तक है उनका जीवन,उनको तो महकना है
कभी तोड़ कोई ले जाता ,कभी समीर से लाडखाता
कभी कोई भंवरा निचोड़ता खुशबू उसकी,फिर भी तो यह मुस्काता
कहता हमसे मानव मुझसे तो कुछ सीख लो
जीवन रुपी बगिया में ले जन्म ,न काँटों(दुखों)से तुम घबराओ
माना अनेक विकार बन कांटे ,सुंदरता तेरे गुणों की छीनना चाहे
या फिर कोई बन भंवरा खुशबू को तेरी पाना चाहे
पर अपने भीतर के गुणों की सुगंध को तुम कभी भी ना खोना
रख सदा विश्वास स्वयं पर हर परिस्थिति का कर डट कर सामना

दिव्यांग जन

तुम जैसे ही हम इंसान है
अधूरे हुए तो क्या
हृदय भरा हर भावना से तुम्हारी ही तरह
तन के किसी हिस्से का साथ छूटा तो क्या
कोई कहे हमको है अपाहिज़ ,
कोई कहे दिव्यांगजन हम
कोई दिखता दया करुणा हम पर
तो किसी के कटाक्ष सहते है हम
हम मैं से कोई जन्म से अधूरा
तो कोई दुर्घटना का हुआ शिकार
पर ईश्वर ने दिया है हमको जीवन
सदा करते हम उनका उपकार
बस इक बिनती करते आप सब से
हमें भी स्वयं जैसे समझें
न दिखाए हम पर केवल दया
हमें भी कार्य-सक्षम समझे
माना बिन साथ आपके ,हमको कठिनाई होगी
हम तो सदा से चाहते आप मित्रों का साथ ,
परन्तु बिना किसी सहानुभूति
स्वाभिमान संग जीवन जीने का अधिकार हमें हो
बोझ न समझे कोई हमें,आत्मनिर्भर बनने का हक़ हो

नंदिनी लहेजा
रायपुर(छत्तीसगढ़)
स्वरचित मौलिक
Popular posts
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
सफेद दूब-
Image
भोजपुरी भाषा अउर साहित्य के मनीषि बिमलेन्दु पाण्डेय जी के जन्मदिन के बहुते बधाई अउर शुभकामना
Image
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
श्री त्रिलोकीनाथ ब्रत कथा
Image