मातृदिवस

शास्त्री सुरेन्द्र दुबे (अनुज जौनपुरी) 

मां आदि शक्ति शत् कोटि नमन,

नित वंदन पदरज माथ धरूं।

जगदम्बा पराम्बा शक्ति स्वरूपा,

हे देवी करूणेश्वरि नाम धरूं ।।


दया धर्म समता ममता सब,

तेरे दिव्य हृदय में वास करें।

शिवांगी तुम हो एकाक्षरी मां,

शारदा लक्ष्मी उपनाम धरुं।।


किन किन शब्दों से तेरा जननी,

मैं वंदन सत्कार करूं।

ईश्वर भी तेरे चरणधूलि हैं।

वंदन रज शत्शत् बार करुं।।


सबसे पहले नर नारी का,

ले रूप सृष्टि का सृजन किया।

धरा प्रकृति को कर निर्मित,

सचर अचर में प्राण भरा।।


वेद तंतु विज्ञान अगमागम,

का संगम तेरे आंचल।

अनादिकाल से वर्तमान तक,

ममता बहती निर्मल अविरल।।


हो अनेक में एक तुम्ही मां,

क्या और दूसरा नाम धरूं।

ईश्वर भी तेरे चरणधूलि हैं,

वंदन रज शत्शत् बार करुं।।


वंदन रज शत्शत् बार करुं।।


*@काव्यमाला कसक*

09/05/21

kavyamalakasak.blogspot.com

Popular posts
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
सफेद दूब-
Image
गीता का ज्ञान
Image
ठाकुर  की रखैल
Image