ग़ज़ल

मणि बेन द्विवेदी

अश्क़ आँखों में थी मुस्कुराती रही।

ज़िन्दगी हर क़दम आजमाती रही। 

***

मुड़ गया था जहाँ से तेरा रास्ता। 

तेरी यादों के संग ही निभाती रही। 

*

थी उल्फ़त के अंज़ाम से बे ख़बर। 

बेवफ़ा से मुहब्बत निभाती रही। 

*

दर्द पीने की आदत मुझे हो गई। 

दर्द पर दर्द दे कर सताती रही। 

*

टुकड़े टुकड़े बिखरती रहीं कर्चियाँ। 

बेमुरौअत सितम मुझपे ढाती रही 

*

इक दिन दिल के एहसास भी थक गए 

उम्र भर बेवज़ह मैं मनाती रही। 

*

वो गए छोड़ कर जब से तन्हा मुझे। 

याद ही साथ अपना निभाती रही। 


मणि बेन द्विवेदी

वाराणसी उत्तर प्रदेश

Popular posts
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
सफेद दूब-
Image
ठाकुर  की रखैल
Image
गीता का ज्ञान
Image