वैवाहिक बर्षगाँठ पर हमसफर को समर्पित यह रचना
डॉ.सारिका ठाकुर "जागृति"
सुख-दुःख में मेरा साथ निभाया ।
मैं जब भी निराश हुई मेरा हौसला बढ़ाया ।
वो मेरा हमसफ़र ही है जिसने सदा,
मैं डगमगाई तो संभलना सिखाया ।
काँटो भरी राह पर पुष्प बिछाये ,
धूप में मेरी छाँव बनकर साथ निभाये
बिन कहे ही समझ जाता है वो हर बात,
निराशा में भी खोज लेता है उम्मीद की आस,
वो मेरा हमसफ़र ही है जिसने सदा,
मुझे कठिनाइयों से बखूबी निकलना सिखाया।
कैसे करूँ शुक्रिया अदा मैं उनका,
जिनसे उम्मीद की किरण जलती है सदा,
बस इतना ही कह पाऊँगी उनसे मैं आज,
जीवन में रहना ऐ हमसफ़र सदा मेरे साथ।
डॉ.सारिका ठाकुर "जागृति"
सर्वाधिकार सुरक्षित
ग्वालियर (मध्य प्रदेश)