महामारी नहीं बीमारी
दो शब्द हौंसले के,
कर देते दवादारी।
वक्त बहुत नाज़ुक है,
आस पास,
मौत का तांडव है।
थोड़ा सा अब ,
बदल जाओ।
भूलकर नफ़रत ,
एक दूसरे को प्रेम से,
तुम गले लगाओ।
जूझ रहा जो
बीमारी से,
थोड़ा सा उसको
स्नेह जताओ।
मत छोड़ो,
मत तोड़ो रिश्ता,
बोलो फोन पर ही बेशक,
मिलते हैं,जल्दी ही दोस्त,
थोड़ा तुम संभल जाओ।
महामारी से बच जाएगा,
जो पकड़ में आएगा।
नफ़रत अपनों की,
ना सह पाएगा।
संसार से दुःखी होकर,
चला जाएगा।
रोक लो, प्रेम से जिंदगी को,
दुआ देगा वो,
जो तेरी वजह से जी पाएगा।
कौशल वंदना भारतीय।
पंजाबी से भारतीय तक की मेरी अग्रिम यात्रा।