कवियित्री मन्सा शुक्ला की रचनाएं


  हाइकु

 हरियाली


आया सावन

छायी हरियाली है

 मगन मन।


हरे रंग की

ओंढ़ के चुनरियाँ

 नाँचती धरा।


आयी बहार

पड़ गये झूले है

गुँजे मल्हार।


बरसे नभ

भरे नदी तालाब

जल राशि से।


रक्षा बन्धन

आशीष की डोर से

सजी कलाई


झूला झूलते

राधा संग मोहन

करो दर्शन।


  

तेरी प्रीत में

.................

         गीत

.....................


तेरी प्रीत मे हो गयी बाँवरिया

हे मन मोहन हे रंग रसिया

तेरे दरश को नैना तरस रहे

अँखियों से बरसे बादरियाँ।


जब से गये श्याम मथुरा नगरिया

भेजी न पाती नही लीन्ही खबरिया

मन में बसी तेरी सूरत साँवरी

खोजूँ इत ,उत तुमको साँवरिया

तेरे दरश को नैना तरस रहे

अँखियों से बरसे रिमझिम

बदरियाँ।

तेरी प्रीत..................।


आवन कह गये आजहुँ न आये

सुनी पड़ी तोरी गोकुल नगरियाँ

यमुना किनारे का पनघट सुना

बंशी वट नही बजती मुरलियाँ

गोपी ग्वाल सब आस लगाये

आवन की तुम्हरें देखे डगरिया

तेरे दरश को नैना तरस रहे

अँखियों से बरसे बाँदरिया

तेरी प्रीत....................।


आओ गिरधर नटवर नागर

निश दिन तुमको पुकारूँ

मनवसिया

कुंज गली निधि वन है बुलाये

तुमको बुलाये यशोदा मईया

तेरे दरश को नैना तरस रहे

अँखियों से बरसे बादरिया

तेरी प्रीत...................।।



इन बुजुर्गो को भी सुना जाय

......................................


कर के अनसुना इनकी आवाज को

जाओं न मुँह फेर कर

दर किनार कर इनकों

निकाल चन्द घड़िया  

सरकते समय से

बैठ पल दो पल

पास इनके

इनके मन की भी बात

सुनी जाय।

आओ इन बुजुर्गो को

भी सुना जाय।



दामन मे समेटें अनुभवों

का पिटारा

बाँटने को आतुर है 

इनका मन बेचारा

सानिध्य में उनके क्यों न

कुछ पल बिताया जाय

आओ इन बुजुर्गो को

भी सुना जाय।



माना रफ्तार बड़ी तेज है

समय की

दूर न सही कुछ पास ही

इनके संग संग साथ चला जाय

आओं इन बुजूर्गो को भी

सुना जाय।



जिन्दगी में हँसी और गम

संग संग चलते रहते है।

उल्लास से भरी कहकहों की

महफिल मे इनको भी शामिल

किया जाय।

आओ इन बुजुर्गो को भी 

सुना जाय।

शिथिल हो चुके गात है

वाणी कपँकपाने लगी

थाम के हाथ उनकाअपने हाथ मे

स्नेह वं मनुहार से ।

आशीषों की दौलत से क्यों न 

दामन अपना भरा जाय।

आओं इन बुजुर्गों को भी सुना जाय।।

    

     मन्सा शुक्ला

   अम्बिका पुर

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