कवि कमलाकर त्रिपाठी की रचनाएं

 


 माँ

---

माँ की महिमा है अनंत,

है माँ से जीवन - संसार,

माँ से है ये सृष्टि सारी,

औ माँ ही हैं जीवनाधार,

माँ ही हैं जीवनाधार,

हैं लालन-पालन करतीं माँ! 

कहते 'कमलाकर' हैं सचही,

सबकी जन्मदात्री हैं माँ।।

      

 वंदना

-------

नित वंदना करो प्रभु की,

सुख - शांति रहेगी जीवनमें,

औ हृष्ट - पुष्ट रहेंगे आजीवन,

कभी भय-भ्रांति न रहेगी मनमें,

कभी भय-भ्रांति न रहेगी मनमें,

तन-मन रहेगा सदैव उल्लसित,

कहते 'कमलाकर' हैं सविनय,

प्रभुकीअर्चना-वंदना करें नित।।

      

पर्यावरण

-----------

शुद्ध शाकाहारी करें भोजन,

सुसंस्कार रहे सुविचार,

नियम-संयम रखें जीवनमें,

कोरोना का होगा बंटाधार,

कोरोना का होगा बंटाधार,

सदा पर्यावरण रखें विशुद्ध,

कहते 'कमलाकर'हैं जीवनमें,

तन-मन रहेगा निरोग-शुद्ध।। 

      

 कवि कमलाकर त्रिपाठी.

Popular posts
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
सफेद दूब-
Image
आपका जन्म किस गण में हुआ है और आपके पास कौनसी शक्तियां मौजूद हैं
Image
भोजपुरी भाषा अउर साहित्य के मनीषि बिमलेन्दु पाण्डेय जी के जन्मदिन के बहुते बधाई अउर शुभकामना
Image