प्रार्थना



डॉ मीरा त्रिपाठी पांडेय

 प्रार्थना यही मैं दिन- रात करती हूँ... (२)

 धरा, उबरे इस काली रात से हर बार कहती हूँ... (२)


इस दैवीय आपदा ने सभी का 

जीना मुहाल किया है ।

साँसें थम गयी हैं, मरना भी दुश्वार किया है ।


मुरली मनोहर, कृष्ण कन्हैया अब जल्दी से आ जाओ ।

 इस श्वेत- कालिमा संक्रमण से  

 धरा को मुक्त करा जाओ ।


तुम, आओगे, तुम्हें आना है, हर बार की तरह ।

 काली- अंधियारी रात में उस बार की तरह ।


इस महामारी- इस आपदा को

दूर करो, माधव ।

मुरली बजाना, अब शुरू करो 

राघव ।


संताने सब आपकी संत्रास सह रहीं हैं ।

दुःख अपना सजल नयन से हर बार कह रहीं हैं ।


 देर न करो कन्हैया, जल्दी से आजाओ मेरे भैया हर बार की तरह ।

 धरा की अस्मिता बचाओ सत बार की तरह ,हर बार की तरह ।।


  प्रार्थना यही मैं दिन- रात करती हूँ... (२)


© डॉ मीरा त्रिपाठी पांडेय

     मुंबई, भारत

Popular posts
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
सफेद दूब-
Image
भोजपुरी भाषा अउर साहित्य के मनीषि बिमलेन्दु पाण्डेय जी के जन्मदिन के बहुते बधाई अउर शुभकामना
Image
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
श्री त्रिलोकीनाथ ब्रत कथा
Image