.डॉ. अशोक 'गुलशन'
सुबह-सुबह उठ करके घर को रोज बुहारें अम्मा जी .
साँझ ढले चौखट पर बैठी दीपक बारें अम्मा जी।
मुझसे गलती होने पर भी कभी न मारें अम्मा जी ,
माथ चूमकर गले लगाकर खूब दुलारें अम्मा जी।
घर को आने में जब मुझसे देर कहीं हो जाये तो,
धोती से फिर मुँह को ढककर राह निहारें अम्मा जी।
मुझ पर कोई कष्ट पड़े तो धरती-अम्बर एक करें,
सरसों-मिर्च जलाकर मेरी नज़र उतारें अम्मा जी।
जब द्वारे पर बहू पधारे हल्दी-चावल ले करके,
लोटे में फिर पानी भाकर उसे उवारें अम्मा जी।
दिन भर भूखी-प्यासी रह कर हाड़ तोड़कर काम करें,
मेहनत और मजूरी करके रात गुज़ारें अम्मा जी।
सभी स्वस्थ हों सभी मस्त हों 'गुलशन ऐसा भाव लिए,
दादी-बाबा , बच्चे-घर का भाग संवारें अम्मा जी।
.डॉ. अशोक 'गुलशन'
उत्तरी क़ानूनगोपुरा
बहराइच ( उत्तर प्रदेश)