शिक्षक समाज की धुरी

 

विनोद कुमार पांडेय

शिक्षक होता समाज की धुरी,

करता वह उसकी हर इच्छा पूरी।

छात्रों में वह संस्कार का बीज बोता है।

दीये की लौ की तरह जलकर 

अपना अस्तित्व खोता है।

फैलाता है प्रकाश,

देदीप्यमान होती है धरती,

प्रकाशित होता है आकाश।

शिक्षक के सम्मान की गाथा है पुरानी,

उसकी अहमियत सबने है पहचानी।

शिक्षक करता है समाज में बदलाव,

भरता है छात्रों में देशभक्ति का भाव।

शिक्षक के आचरण का 

अनुकरण करते हैं छात्र,

उनके पदचिन्हों पर चल कर 

बनते हैं उनके अनुरूप पात्र।

शिक्षक को समाज देता है सम्मान।

हम अपने आचरण से रखें

'शिक्षक' पद का मान।


विनोद कुमार पांडेय

 शिक्षक (रा० हाई स्कूल, लिब्बरहेड़ी, हरिद्वार)

Popular posts
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
सफेद दूब-
Image
गीता का ज्ञान
Image
ठाकुर  की रखैल
Image