मधुशाला अगर्चे तेरे नयन



शास्त्री सुरेन्द्र दुबे अनुज जौनपुरी की कलम से

तू मेरी दिवानी बन जाए,

मैं तेरा दिवाना बन जाऊं।

बन जाओ अगर्चे तुम राधा,

मैं श्याम तुम्हारा बन जाऊं।।


तुम गीत अगर मेरा बन जाओ,

मैं तेरा तराना बन जाऊं।


पी लूं सरगम बन होंठों को,

मैं तेरा दिवाना बन जाऊं।।


मैं तेरा दिवाना बन जाऊं।।।


ए गेसू तेरे सावन की घटा,

बादल बन आंचल लहराएं।

गालों की सुरमयी लाली को,

तेरे देख ए धड़कन थम जाए।


देखें जब धड़कन थम जाएं,,

देखें जब धड़कन थम जाएं,,,,,,


आंखों में लरजती शर्मोहया ,

मेरे गीतों की मल्लिका मुस्काये।


मधुशाला अगर बन जाएं नयन,

तो मैं पलकों का, 

काजल बन जाऊं।

पी लूं सरगम बन होंठों को।

संगीत सुहाना बन जाऊं।।


तुम गीत अगर मेरा बन जाओ,

मैं तेरा तराना बन जाऊं।

तुम मेरी दिवानी बन जाओ,

मैं तेरा दिवाना बन जाऊं।

तुम मेरा दिवाना बन जाओ,

मैं तेरी दिवानी बन जाऊं।।


मन मीत अगर तुम बन जाओ,

मैं गीत तुम्हारी बन जाऊं।

सांसों के महकते तारों में,

सरगम बनकर मैं बस जाऊं।

दिल के तारों को छू लो सनम,

झनकार तुम्हारी बन जाऊं।


गीतों की मैं तेरी मल्लिका,

मैं गीत अमर तेरी बन जाऊं।

तुम मेरा दिवाना बन जाओ,

तो मैं तेरी दिवानी बन जाऊं।।


*@काव्यमाला कसक*


*शास्त्री सुरेन्द्र दुबे (अनुज जौनपुरी)*


kavyamalakasak.blogspot.com

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