हाइकु

 


नीरज कुमार सिंह

ओ कान्हा प्यारे

आओ मेरे आंगन

नैना निहारे।


मुरली धर

 न सता अब दुख

 को दूर कर। 


नंद के लाल

दुख दूर कर तू 

कर कमाल।


बंसी बजाओ

हृदय से डर को

कान्हा भगाओ।


गोविंद तेरी

दृष्टि पड़ी,बदली

किस्मत मेरी


नीरज कुमार सिंह

देवरिया यू पी

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