दूर नहीं मंजिल
थको नहीं रुको नहीं
अब मंजिल दूर नहीं
डटो वहीँ रुको नहीं
अब मंजिल दूर नहीं
दूर हैँ मंजिल पाने के लिए
आसमा हैँ छू जाने के लिए
घोर अंधेरा संकल्प सबेरा
अब मंजिल दूर नहीं
गुमान झूठा न करो
मिट्टी मे मिलना हैँ
जहाँ दफन होंगे
घास वही उगना हैँ
झूठ के आगे झुको नहीं
अब मंजिल दूर नहीं
निष्काम कर्म ही मर्म हैँ
मानवता पथ उत्कृष्ट हैँ
तेरे हैँ वही सतकर्म
अब मंजिल दूर नहीं
छवि आराध्य की बसाकर
पीछे न कभी मुड़कर
होगा पूरा संकल्प
अब मंजिल दूर नहीं
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आ जा भैया
कुमकुम थाल सजाकर बैठी हूँ
पढ़ती पाती मैं वीरन की हूँ
अँखियों से बहती अंसुवन धार
आजा$$$हो मेरे भैया आजा
आजा --------------------
जियरा मेरा तेरे लिए डोळे
बस वीरन-2 ही बोले
तुझे उमर लग जाये मेरी आज
आजा -----------------
ईश्वर न तू ऐसे बदला ले
कोरोना महामारी को वापस ले
चरण कमल बंदन करती आज
आजा ------------------
पाती मे लिखीतेरी हर बात सच्ची
तेरी लाख बरस उमर हो मैं ये कहती
स्नेह का उमड़ रहा संसार
आजा ---------------
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नया जमाना
नया जमाना अब कैसा हैँ
हर रिश्ता फीका सा हैँ
प्रात उठ मात के चरण नवावे
ये सब भूल के अब मोबाइल उठावे
आशीर्वाद का अहसास खोता सा हैँ
हर --------------------
विद्या से विनम्रता हैँ आती
अब गिट गिट अंग्रेजी पढ़ी जाती
प्रणाम शब्द अब खोता सा हैँ
हर ------------------
मन मे तड़प उठे भावों की
पाती लिख जाती शब्दों की
अब विडिओ कॉल नया सा हैँ
हर --------------------
डिजिटल हैँ जमाना अपना लो
पर संस्कार अपने न भुलाओ
मात पिता केचरणों मे रहना स्वर्ग सा हैँ
हर ---------------------
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आज़ादी के मायने
अमर कीर्ति का अमर तिरंगा
भारत शीर्ष मुकुट रहेगा
प्रेम पुजारी हम भारतवासी
युगों युगों तक भारत नाम रहेगा
कांटों पर चलना सीखो
फूलों का उपहार मिलेगा
जीवन मे मरना सीख लिया
तो जीने का अधिकार मिलेगा
युगों --------========
दुश्मन चाहे जितनी आँख दिखाए
चीन हो या पाकिस्तान या और बलाएँ
पत्थर से देना जवाब हमने सीख लिया
आज़ाद हैँ भारत आज़ाद रहेगा
युगों -----------------------
जन्मभूमि जननी सी आदर करते हैँ
देश को अपने भारत माता कहते हैँ
कभीनदयाकरना दुश्मन पर सीख लिया
दुनियां मे गाँधी वाला हिंदुस्तान रहेगा
युगों -----------------------
तन मन धन सब इस देश का हैँ
महबूब भी मेरा न इससे बड़ा हैँ
जान पे अपनी जान लगाना सीख लिया
युगों ------------------
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राम लला की धरती
रामलला की धरती मे
राम विराजे हैँ आज
बहुत दिवस लगाए उन्होंने
तब आये अपने धाम
बोलो सीताराम सीताराम
सीता सीताराम
बोलो --------------==
धरती बनायीं उन्होंने
अम्बर भी बनाया उनका हैँ
सात समुद्र से लेकर जग मे
सब उनकी ही माया हैँ
शीश झुकाओ आज
बोलो ------------------
गाँव से लेकर शहर तक
रात्रि प्रहरसे दो पहर तक
दशों दिशाये जगमग आज
बोलो -----------------
वो हैँ सबके रक्षक
सबमें नजर रखते हैँ
दीन भक्त सभी के
दुःखो को हरते हैँ
सबमे बसने वाले सबके राम
बोलो ------------
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कल्पना भदौरिया "स्वप्निल "
उत्तरप्रदेश
7007821513