मुकेश गौतम
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सबसे पहले मानवता हैं फिर जाती और धर्म,
ईर्ष्या द्वेष से युक्त नहीं हो कभी हमारा कर्म।
कभी न भूलें हम जीवन में मानवता का मर्म,
मानवता से करें बगावत वह सबसे बड़ा जुर्म।।
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तुमसे उनको उनसे तुम को ऐसी क्यूँ नफरत है,
धरा एक हैं हम सब नश्वर फिर कैसी हरकत है।
मान जाओं ठीक नहीं है जिसमें तुम सब रत हैं।
मेल जोल से रहकर देखों फ़िर कैसी बरकत हैं।
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क्या हासिल कर जायेंगे हम ऐसे जलकर रोज।
मनुज मनुज से छीन रहा है क्यूँ जीवन की मौज।
मनुष्यों में क्यूँ जन्मी यह आतंकियों की फौज।
खुद ने खुद के लिए करी क्यूँ इन बमों की खोज।
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एक दूजे के दुश्मन बनकर कब तक रह पायेंगे।
रोज रोज ही घूँट ज़हर का कब तक सह पायेंगे।
अन्तर्मन की लगीं आग में कब तक दह पायेंगे।
अलगाव की इस आँधी में हम सब ही ढह जायेंगे।
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आज विश्व में आई आफत कूटनीति का फल हैं।
मानव निर्मित मानव नाशक मानवता का छल हैं।।
इंसानियत पर सबसे घातक दानवता का दल हैं।
नहीं समझें तो दुर्दिन लेकर आनें वाला
कल हैं।।
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रचनाकार
-मुकेश गौतम
ग्राम डपटा बूंदी(राज)
18:05:2021🔅मानवता🔅
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सबसे पहले मानवता हैं फिर जाती और धर्म,
ईर्ष्या द्वेष से युक्त नहीं हो कभी हमारा कर्म।
कभी न भूलें हम जीवन में मानवता का मर्म,
मानवता से करें बगावत वह सबसे बड़ा जुर्म।।
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तुमसे उनको उनसे तुम को ऐसी क्यूँ नफरत है,
धरा एक हैं हम सब नश्वर फिर कैसी हरकत है।
मान जाओं ठीक नहीं है जिसमें तुम सब रत हैं।
मेल जोल से रहकर देखों फ़िर कैसी बरकत हैं।
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क्या हासिल कर जायेंगे हम ऐसे जलकर रोज।
मनुज मनुज से छीन रहा है क्यूँ जीवन की मौज।
मनुष्यों में क्यूँ जन्मी यह आतंकियों की फौज।
खुद ने खुद के लिए करी क्यूँ इन बमों की खोज।
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एक दूजे के दुश्मन बनकर कब तक रह पायेंगे।
रोज रोज ही घूँट ज़हर का कब तक सह पायेंगे।
अन्तर्मन की लगीं आग में कब तक दह पायेंगे।
अलगाव की इस आँधी में हम सब ही ढह जायेंगे।
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आज विश्व में आई आफत कूटनीति का फल हैं।
मानव निर्मित मानव नाशक मानवता का छल हैं।।
इंसानियत पर सबसे घातक दानवता का दल हैं।
नहीं समझें तो दुर्दिन लेकर आनें वाला
कल हैं।।
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रचनाकार
-मुकेश गौतम
ग्राम डपटा बूंदी(राज)
18:05:2021