मतलब के लोग



श्वेता शर्मा 

 स्वार्थी दुनियाँ

मतलब की दुनियाँ

मतलब के लोग


जब स्वार्थ हो अपना

तब हाथ मिलाते लोग


मतलब के रिश्ते

मतलब की पहचान

मुसीबत में हो यदि तुम

तो नही पहचानता इंसान


मतलब की बातें

मतलब के साथी

स्वार्थ से भरी

ये दुनिया सारी


कोई नही एक भी ऐसा

जो के दे निस्वार्थ सेवा

अंत सभी का एक जैसा

धरा रह जाता है पैसा


निस्वार्थ सेवा की जग में बढ़ाई

स्वार्थी की होती जग हँसाई

फिर भी देखो मानव की ढिठाई

बात उसे समझ ही न आई


अंत मे मैं कह दूं सबको

निस्वार्थ से सींचो जग को

काम भला तुम कर के जाना

जग में अपना नाम कमाना।।


श्वेता शर्मा 

रायपुर छत्तीसगढ़

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