निवेदिता रॉय
हमेशा समझदारी के दामन में उलझे रहते हो
कुछ नादानियाँ भी ज़रूरी है सनम
इस समझदारी के कटोरे में थोड़ी नादानी का तड़का लगा लो,
थोड़ा मुस्कुरा दो
समझदार हो सयाने भी हो
अपनी अक़्ल का करो ज़रूर इस्तेमाल
पर अपने अंदर के बच्चे का रखें ख़्याल
नादानियों की खिल्ली जो हैं उड़ाते
वो कौन सा कोई बड़ा इनाम पाते
हंस खेल कर जो जीते
ख़ुद के साथ औरों को भी कितनी को ख़ुशियाँ दे जाते !
निवेदिता रॉय (बहरीन)