पूनम शर्मा स्नेहिल
सब पूछते हैं मुझसे ,
तुम मेरे कौन हो ।
जो तन्हाई में बन खुशी ,
लबों पर छा जाते हो ।
कर अदृश्य से संकेत,
तुम मुझे करीब बुलाते हो ।
बनकर ख्वाब आंँखों में ,
समा जाते हो।
मुश्किल में अक्सर,
राह दिखा जाते हो ।
कभी हंँसाते हो ,
तो कभी गुदगुदाते हो।
मन को शांत नदी में,
हलचल सी मचा जाते हो ।
बारिश की पहली बूंद सा,
तुम मुझमें समा जाते हो ।
आहिस्ता- आहिस्ता जीवन में,
खुद को खास बना जाते हो ।
कभी अनायास ही ,
मेरी पलकें भिंगा जाते हो ।
देखकर दुखी मुझे ,
गले से लगा जाते हो ।
सब पूछते हैं मुझसे,
तुम मेरे कौन हो ।
तुम मेरा मौन हो,
तुम मेरा मौन हो।।
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