स्नेह का बंधन
दिखता नहीं ,
पर बांधे रखता है
दिलों को
प्यार की
मजबूत डोर से।
तभी तो---
दूर बैठे
यह कहना---
सब अच्छा होगा।
सुनते हीं
सारी चिंताएँ
सारा डर
रुई के फाहे
की तरह
उड़ जाता है,
मन के
पटल से।
दुख की
घनी बदली
जब छाई हो
और माथे पर पड़े
एक स्नेहिल स्पर्श !
जो क्षण में ही
दूर कर देता है,
काले बादलों को ।
तब लाता है
सुख का सूरज,
एक नया सवेरा !
🌹अनामिका सिंह🌹