प्रवाह

शरद कुमार पाठक

कोइ धार प्रवाहित

 रुक ना जाये

उठने दो इन

वेगों को

कोइ धार प्रवाहित

रुक ना जाये

बहने दो इन

धाराओं को

कोइ धरा असिंन्चित

रह ना जाए

उठने दो अन्तस

के बादल

कोइ कलम

प्रष्ठ पर रुक ना जाये

गिरने दो उस स्वाँति

बूँद को

कोई चातक प्यासा

रह ना जाए

उठने दो उद्गार प्रणय के

कोई प्रणय अधूरा

रह ना जाए

कोई धार प्रवाहित

रुक ना जाये


          (शरद कुमार पाठक)

डिस्टिक -----(हरदोई)


Popular posts
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
सफेद दूब-
Image
आपका जन्म किस गण में हुआ है और आपके पास कौनसी शक्तियां मौजूद हैं
Image
भोजपुरी भाषा अउर साहित्य के मनीषि बिमलेन्दु पाण्डेय जी के जन्मदिन के बहुते बधाई अउर शुभकामना
Image