फालतू बातें

नीलम राकेश 

‘‘“मैंने सुना है आप लिखते हैं, साहित्यकार हैं ।’’

‘‘“ठीक सुना है आपने।’’

‘‘“फिर तो आपने आतंकवादियों पर भी कुछ लिखा होगा ?’’

‘‘“हॉं, क्यों नहीं । सम्भवतः सभी साहित्यकारों ने उस पर लिखा ही होगा ।’’

‘‘“क्या मैं देख सकता हूं A**

‘‘^^हॉं-हॉं लीजिये।’’

‘‘“........... आपने इसमें कहीं भी आतंकवादियों के विरूद्ध कुछ नहीं कहा है ।’’

‘‘“मेरी कविताएं वीर रस की हैं] मैंने अपने सैनिकों में जोश भरने की कोशिश की है ।’’

‘‘“वो तो ठीक है] लेकिन आतंक की तो निन्दा..................’’

‘‘“देखिये] मैं किसी कन्ट्रोवर्सी में नहीं पड़ना चाहता ।’’

‘‘“कन्ट्रोवर्सी !!! अरे गलत को गलत कहने में क्या बुराई हैA

‘‘“गलत सही का निर्णय करने वाले हम कौन होते हैं\+**

‘‘“फिर कौन करेगा] यह निर्णय\**

‘‘“सरकार] सरकार है न इसके लिये ।’’

‘‘“यह तो साहब जिम्मेदारी से पलायन है ।’’

‘‘“देखिये महोदय] आपके पास शायद समय फालतू है । लेकिन मुझे बहुत काम करना है । कृपया.................’’

‘‘“क्षमा कीजियेगा । मैं भुल गया था कि आप साहित्यकार हैं । समाज के प्रति आपकी बहुत सी जिम्मेदारियॉं हैं] फिर मेरी फालतू बातों के लिये आपके पास समय कहॉं होगा । चलता हूं] प्रणाम ।’’

नीलम राकेश 

610/60, केशव नगर कालोनी

सीतापुर रोड, लखनऊ

 उत्तर-प्रदेश-226020,              

दूरभाष नम्बर : 8400477299

neelamrakeshchandra@gmail.com

Popular posts
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
साहित्य समाज का आईना होता है। जैसा दिखता है, वैसा लिखता है : छाया त्यागी
Image
दि ग्राम टुडे न्यूज पोर्टल पर लाइव हैं अनिल कुमार दुबे "अंशु"
Image
सफेद दूब-
Image