नारी सौंदर्य

 


पूनम शर्मा स्नेहिल

शांत सौम्य सा मुखड़ा,

नमन तीखी कटार ।

मुखड़े की आभा से छलके ,

स्नेह आज अपार।


एक मुस्कान से देती है ,

सबके कर्ज उतार। 

छलके नैनों से इसके, 

ममता और दुलार ।


लाई देवों से ये मानो ,

सौंदर्य रूप उधार ।

पाने को ये रूप सलोना,

तरसे है संसार ।


बिना बोले नैनों से करती,

प्रेम का इजहार ।

कर इसका सृजन प्रभु ने, 

किया सृष्टि पर उपकार ।


करती हर चुनौती को ये 

दो पल में स्वीकार ।

बिन शृंगार लगे हैं ऐसे, 

किया हो सोलह शृगार।


 अधरों पर मुखरित होते ,

शब्द आज उपचार।

 खुल जाए जो लब ये,

शब्द सुन जग का हो उधार।


देख के इसकी सूरत ,

दिल को आता है करार।

झलके रूप से इसके,

हर क्षण बस प्यार प्यार प्यार।।


©️®️☯️

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