स्वस्थ रहें ,सुरक्षित रहें
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दो गज की दूरी रहें
मास्क भी जरूरी रहें
होंसला भी भरपूर रहें
स्वस्थ रहें सुरक्षित रहें
कोरोना की चपेट हैं
संकमण से दूर रहे
महामारी के काल मे
एक दूसरे से दूर रहें
कार्यस्थल पर दूर बैठ
ऑफिस के कार्य करें
सर्दी खांसी बुखार में
अस्पताल का रुख करें
भयभीत न हो कभी
हिम्मत से काम लें
नाजुक वक़्त है अभी
निर्भय रह सम्भाल करें
कोविड का टीका लगाएं
इम्युनिटी आप बढ़ाएं
खुद को कर मजबूत
कोरोना को आप हराएं
घर पर रहें बाहर न निकलें
लोकडाउन का पालन करें
बेवजह भीड़ में न जाएं
घर पर ही आराम करें
टीका खुद लगवाएं
परिवार को बचाएं
गाइडलाइन मानकर
कोरोना से बच जाए
मेरा देश
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मेरा देश भारत सोने की चिड़िया कहलाता था
अंग्रेजों ने खूब लम्बा शासन किया हमें गुलाम बनाया
सारी मेहनत की कमाई विदेशी लूट ले गए।
बरसों तक हमारा शोषण किया जुल्म ढाए
भगत सुभाष आजाद तिलक ने हमें आजादी दिलाई
महात्मा गांधी की अहिंसा के आगे अंग्रेजी हुकूमत झुक गई
लाल बाल पाल की तिकड़ी कमाल की थी भाई
सारी शासन व्यवस्था तीनों ने क्या खूब चलाई
वन्दे मातरम जय हिंद भारत माता की जयकार से
क्रांतिकारियों ने घर घर अलख जगाई
स्वत्रंतता की चिंगारी हर भारतीय के मन मे जगाई
पन्द्रह अगस्त उन्नीस सौ सैंतालीस को आज़ादी मिल पाई
आज़ादी का जश्न प्रतिवर्ष हम मनाते हैं
उन अमर शहीदों को सिर कोटि कोटि झुकाते हैं
हिमगिरि रक्षा करता भारत की ये किरीट हमारा है
कितना सुंदर कितना प्यारा भारत देश हमारा है
लक्ष्मीबाई महाराणा प्रताप हाड़ी रानी वाला देश भारत है
गढ़ कँगूरों वाला झील पोखरों वाला देश हमारा है
व्यापार
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हर कोई क्षेत्र व्यापार सा हो गया है
शिक्षा स्वास्थ्य चिकित्सा व्यापार है
मतलबपरस्ती में सेवा धर्म खो गया
दया सहानुभूति जैसा गुण खो गया
हर कोई धन इकट्ठा करने में लगा
स्वार्थपरता ने देखो अंधा कर दिया
ईमान से कौन करता अब व्यापार
हर जगह ईर्ष्या द्वेष जो फैल गया
कभी नुकसान होता है व्यापार में
रोज रोज ही फायदा नहीं मिलता
कोई धर्म की आड़ में व्यापार करे
कोई काली कमाई से घर को भरे
कोई धन देता है कोई सामान देता
ये व्यापार यूँ ही सदियों से चलता
व्यापारी जो नेक है वे सफल होते
जो लालची बन दौड़ते वे हारते हैं
श्रमिक
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रात दिन हाड़ तोड़ मेहनत करते
फिर भी मुँह से कुछ भी न कहते
श्रम की जय होती सदा ही देखी
श्रमवीरों की गौरव गाथा कहते हैं
श्रम से जो सफलता हमें मिलती
उसका आनन्द श्रमवीर ही जाने
खेतों में स्वेद बहाता श्रमिक भी
सर्दी गर्मी बारिश को सह लेता है
श्रम की सदा जीत होती देखी है
श्रम कभी न किसी से हारते देखा
-डॉ. राजेश पुरोहित