सुनीता जौहरी
भंवरा भुन- भुन गीत सुनाता
बयार संग हरियाली लाता
पपीहा कोयल कूक लगाता
सावन उमड़- घुमड़ कर हर्षाएं
पानी भर -भर बादल इठलाएं
रोम- रोम ये पुलकित कर जाएं ।
तुम भी आ जाते प्रिय मेरे
तृप्त होती गले लग तेरें
यादें आए- जाए बहुतेरे ।
संग- संग बीतें थे जो तेरे
दिन - रैन रहते मुझे घेरे
पतझड़ बसंत लगातें फेरें ।
आओं साजन अब न सताओ
नहीं कटें दिन- रैन बताओं
आनें की अब आस जताओं ।
सूनी- सूनी मोरी डगरिया
अंसुवन से भरुं मैं गगरिया
न संदेशा न तोरी खबरिया ।
तुझ बिन सब श्रंगार अधूरे
रात अमावस भए सब मेरे
जीवन मरण अब हाथ तेरे ।।
______________________
सुनीता जौहरी
वाराणसी
उत्तर प्रदेश