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रिश्ते न चलते जिंदगी के साथ दोस्तों,
हैं जिन्दगी में रिश्ते बड़े खास दोस्तों।।
बंधन अटूट आस्था विश्वास दोस्तों,
रिश्तों के साथ चलती जिंदगी है दोस्तों।।
रिश्ता मधुर रहे तो महक उठती जिंदगी,
रिश्ते सम्हाल रखना अपने हाथ दोस्तों।।
रिश्ते की डोर प्रेम के धागों से हों बुनी,
तो निभाए जिंदगी में साथ दोस्तों।।
है जिंदगी जहर अगर रिश्ते नहीं मधुर,
कहां सफर आसान श्रजिंदगी का दोस्तों।।
है जग में अलग रिश्ते का मुकाम दोस्तों,
रिश्ते बनाते जिंदगी में काम दोस्तों।।
शास्त्री सुरेन्द्र दुबे (अनुज जौनपुरी)
*@काव्यमाला कसक*
*मुंबई महाराष्ट्र*
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