मातृ दिवस के दोहे

                                         माँ



गीता पाण्डेय अपराजिता

1जिस मां ने मुझ को लिखा, लिखूं उसे क्या आज।

मेरी क्या औकात है, आती मुझको लाज।।


2 मां कविता की वेदना, महाकाव्य का सार।

 बिन मातु ये सृष्टि नहीं ,है जीवन आधार।।


3 माता जैसी है नहीं ,गोद बनी संसार।

 लीला प्रभु ने भी रची को कोख लिए अवतार।।


4 मां को जो करता दुखी ,मानव तेरी भूल।

 मां के चरणों में सदा ,रहे स्वर्ग की धूल।।


5 माँ जन्नत का फूल है, करना प्यार वसूल ।

ईश्वर भी करता सदा ,मां की दुआ कबूल।।


6 इस जग में मां से बड़ा,नहि ऊंचा है स्थान।

 मां का सब आदर करो, धरती की भगवान।।


7मैं ममता की गागरी ,इत उत प्यार लुटाया ।

स्नेह देवी मुझे सदा ,जन्म सुफ़ल हो जाए ।।


8 मातृ भाव सर्वोच्च हैं ,बाटे सदा उमंग ।

ममता की देवी सदा ,रहती मेरे संग ।।


9 माँ पर अपने है हमे, इस जगती पर नाज ।

जन्म दिया पाला हमे, आदर करते आज ।।


10 माता आंचल मे भरा ,सारे जग का प्यार ।

माता खुद ही पालती, शिशु अपने दो चार ।।


11माँ की ममता का कभी, चुका सके नहि मोल ।

मूरख जन समझे नहीं ,माता है अनमोल ।।


12 माता तेरी गोद में, भरी सुखो की खान ।

जीवन की आधार तुम, मेरा हो सम्मान ।।


13 माता जिस घर मे रहे ,होता सुख का वास ।

घर अंगना महके सदा, सुन्दर भरी सुहास ।।


14 परिजन हो जब कष्ट मे ,करे पूर्ण सत्कार।

माँ की आँखो से बहे ,स्नेहिलअविरल धार ।।


15 माँ मै तेरी भक्ति का ,कैसे करु बखान ।

जन्म तुम्ही ने है दिया, ध्रुव प्रहलाद समान ।।


16 मातृ दिवस पर आज ही, हम सब ले संकल्प।

मां का ह्रदय दुखे नहीं, अच्छा यही विकल्प।।


17 पृथ्वी पर भगवान का, धारण करती रूप ।

झोली खुशियों से भरे, खिले सुनहरी धूप।।


18 मां अपनी संतान का ,हरती है संताप।

 विकसित हो सदगुण सदा, जीवन हो निष्पाप।।


19 मां अपनी संतान को ,हरदम दे आशीष ।

मां का वंदन जो करें ,कृपा करें जगदीश।।


20 सब बयां कर नहि सके ,मां का यह बलिदान ।

कागज पर कैसे लिखें, मां तेरा गुणगान।।


गीता पाण्डेय अपराजिता

 रायबरेली उत्तरप्रदेश 9415718838

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