पंछी - परिंदें

 

   नवीन नव बीगोद

पंछी निकले है ,उच्ची उड़ान पर ।

थक कर आये है, तेरे मकान पर ।।

रोज़ सुबह कलरव ,काँव- काँव है ।

 टे - टे ,टी - टी, चीं -चीं गूंजे गाँव है ।।

करते कबूतर , गुटरगू मचान पर ।

पंछी निकले है ,उच्ची उड़ान पर ।।


भाग्य भरोसे ना रहते,करते मेहनत ।

देने वाला है रब ,बरसाये रहमत ।।

बुलबुल गाना गाये मीठी तान पर ।

पंछी निकले है ,उच्ची उड़ान पर ।।


तिनका तिनका जोड़े ,घर बनाये है ।

हारे ना वो हिम्मत ,फिर बसाये है ।।

तूफ़ानों से लड़ते, खेले जान पर ।

पंछी निकले है ,उच्ची उड़ान पर ।।


साथ साथ उड़ते है ,सुबह शाम को ।

दिनभर खुद ही करते है,काम को ।।

नित बढ़ते जाते है उनवान पर ।

पंछी निकले है ,उच्ची उड़ान पर ।।


रंग -बिरंगे है पक्षी, हीरामन तोते । 

पिंजरे में बैठे- बैठे सोचा करते ।।

पैर पेड़ पे नज़रे ,आसमान पर ।

पंछी निकले है ,उच्ची उड़ान पर ।।


गर्मी में सुखी नदियाँ तालाब है ।

दाना पानी को पंछी बेताब है ।।

बांध परिंडें दया करे बेज़ुबान पर ।

पंछी निकले है ,उच्ची उड़ान पर ।।

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