कवि कमलाकर त्रिपाठी की रचनाएं

 


 शुद्धता 

--------

शुद्धता रखिए तन - मन की,

औ पर्यावरण को रखिए शुद्ध,

विजयी होंगे हर क्षेत्र में,

चाहे कैसा क्यों न हो युद्ध, 

चाहे कैसा क्यों न हो युद्ध,

है परमावश्यक अपनी शुद्धता,

कहते 'कमलाकर' हैं जीवनको,

स्वस्थ-निरोग रखती है शुद्धता।।

       

 स्वास्थ्य

---------

स्वास्थ्य से बढ़कर है सुख नहीं,

नित्यप्रति रखिए इसका ध्यान,

औ नियमित रहे जीवनचर्या,

शुद्ध - सात्विक करें खान-पान,

शुद्ध - सात्विक करें खान-पान,

अत्युत्तम रहेगा अपना स्वास्थ्य,

कहते 'कमलाकर' हैं कितना ही,

सुखप्रद होता हैअच्छा स्वास्थ्य।।

        

आस्था

--------

आस्था रखें परमात्मा में,

हैं वही सबके पालनहार,

संरक्षक हैं वही सचराचर के,

औ वही हैं हमारे खेवनहार,

वही हैं हमारे खेवनहार, 

हैं करते सारी वही व्यवस्था, 

कहते 'कमलाकर' हैं प्रभु में,

रखते हम भी पूरी आस्था।।


 छेड़छाड़

----------

छेड़छाड़ मत करो प्रकृति से,

प्रकृति को यों - ही रहने दो,

है प्रकृति हमारी जीवन साथी,

हमें प्रकृति के अंक में पलने दो,

हमें प्रकृति के अंक में पलने दो,

न करो प्रकृतिसे कोई खिलवाड़,

कहते 'कमलाकर' हैं कितनी,

अनिष्ट कर रही है छेड़छाड़।।

       

 प्रतिभागी

-----------

प्रतिभागी बनें हर प्रतियोगिता में,

है ये उन्नति-विकास का संसाधन,

अनुभव-विचार का होगा विस्तार,

औ होगा मौलिक ज्ञानार्जन,

होगा मौलिक ज्ञानार्जन,

लक्ष्य-लाभ पायें होकर सहभागी,

कहते 'कमलाकर' हैं हर कोई,

हर प्रतियोगिता में हों प्रतिभागी।।    

 कवि कमलाकर त्रिपाठी.

Popular posts
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
सफेद दूब-
Image
आपका जन्म किस गण में हुआ है और आपके पास कौनसी शक्तियां मौजूद हैं
Image
भोजपुरी भाषा अउर साहित्य के मनीषि बिमलेन्दु पाण्डेय जी के जन्मदिन के बहुते बधाई अउर शुभकामना
Image