ग़ज़ल

  

किरण झा

जिंदगी कितना तुम सताओगी

इक दिन मुझसे हार जाओगी


सांस मेरी तेरी अमानत है

कैसे मुझको तुम बिखराओगी


डाल कर हाथ मेरे हाथों में

ले चलो तुम जहां भी जाओगी


चलते चलते यूं ही राहों में

देखकर मुझको मुस्कराओगी


नींद आये तो कभी ख्वाबों में

लोरी मुझको तुम सुनाओगी


 ✍🏻 स्वरचित

Popular posts
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
सफेद दूब-
Image
आपका जन्म किस गण में हुआ है और आपके पास कौनसी शक्तियां मौजूद हैं
Image
भोजपुरी भाषा अउर साहित्य के मनीषि बिमलेन्दु पाण्डेय जी के जन्मदिन के बहुते बधाई अउर शुभकामना
Image