पीठ पीछे नफरत मुंह पर प्यार,
आजकल की दुनिया का यही कारोबार।
चोरी बेइमानी मचा है लूट पाट
ईमानदारी वाले मर रहे, भ्रष्टाचारी का राज पाट।
इंसान की कदर नहीं, पैसे की कदर करते हैं।
बैंक में जमा है पैसा, अकेले ही मरते हैं।
अपने अपने की सोच में डूबा है इंसान,
इसीलिए इस दुनियां से रुष्ट हुआ भगवान।
अपने लिए तो हरदम मांगे,
आज सबके लिए दुआ मांगे,
अब मोह भंग हुआ भगवन्
तेरे चरण में वंदन करते हैं।
आशा सिंह मोतिहारी
पूर्वी चंपारण बिहार