कुछ तुम्हारी हम सुनें, कुछ हमारी तुम सुरों।
तो समझना प्यार अब होने लगा है।।
धूप सी निखरी हुई पूनम की रातों,
बैठ कर करते थे हम आपस में बातें,
याद करके फिर वही लमहे पुराने,
दिल की अपनी हम कहें और तुम कहो,
तो समझना प्यार अब होनें लगा है।।
जब कभी आये यहाँ मौसम सुहानें,
गूजनें लग जाये कोयल के तरानें,
घूमकर गुलशन के कोनें कोनें से,
फूल थोड़े हम चुनें और थोड़ा तुम चुनों ,
तो समझना प्यार अब होने लगा है।।
जब उठे बादल घिरे काली घटायें,
रिमझिम बरसे सावन हों ठंढी हवायें,
गीत कोई हम बुनें और कोई तुम बुनों,
तो समझना प्यार अब होने लगा है।।
कान में जब गीत मंगल और शहनाई सी बजने लगे,
हाथ में मेंहदी महावर पाँव में सजने लगे,
साथ जन्मों जनम तक अपना रहेगा,
यह इरादा हम करें, और तुम वादा करो,
तो समझना प्यार अब होने लगा है ।।
प्रकाशन हेतु रचना
डाःमलय तिवारी
बदलापुर, जौनपुर